पत्नी सेवा में हों तत्पर,
तैयार खड़ा जो रहता है।
डिनर , लंच और ब्रेक फास्ट,
वह मनमाफिक ले लेता है।
सबसे अच्छी पत्नी सेवा,
तत्काल लाभ दे देती है।
मुस्कान प्राप्त होती दिन भर,
हर क्षुधा तृप्त कर देती है।
पत्नी खुश तो बच्चे खुश हैं,
घर शान्त हमेशा रहता है।
यह देख पड़ोसी हर गुप-चुप,
नित टिप्स पूछता रहता है।
हो पूर्ण समर्पण सेवा पर,
चर्या यह स्वयं बना लो तुम।
इन छोटी-छोटी बातों को,
बेहिचक तुरत अपना लो तुम।
पत्नी से पहले चार बजे,
बिस्तर छोड़ो और उठ जाओ।
फिर नित्य क्रिया से निपट प्रिये,
खुश्बू वाला साबुन लाओ।
वह साबुन तन पर रगड़-रगड़,
जम कर दो बार नहाओ तुम।
मुख पर अच्छी सी क्रीम लगा,
पत्नी तलवे सहलाओ तुम।
दो-चार मिलें कड़वी सुनने,
मुसका कर उनको पी जाओ।
फिर कहो डाक्टर बोला है,
जाकर दो मील टहल आओ।
फिर आँखों में आँसू लाकर,
यूँकहो मेरी सरताज हो तुम।
हट जाय फैट जाकर टहलो,
मुझपर क्योंकर नाराज हो तुम।
जब तक तुम वापस आती हो,
नीबू पानी तैयार रखूँ।
साड़ी ब्लाउज पर प्रैस मार
मैं बाथ रूम तैयार रखूँ।
जब तक तुम प्रिय नहाओगी,
मैं ब्रेकफास्ट रेडी करके।
बच्चे भेजूँगा शाला को,
उनका सब कुछ रेडी करके।
फिर गरम नाश्ता टेबिल पर,
मैं आकर ठीक लगा दूँगा।
और अपने हाथों से प्रियवर,
भर पेट तुम्हें खिलवा दूँगा।
छः बजे थकी जब आओगी,
तक गरम पकोड़े खाओगी।
जबतक देखोगी न्यूज प्रिय,
खाना टेबल पर पाओगी।
कुठ देर टहल कर मित्र संग,
घर पर वापस जब आओगी।
सोने से पहले तुम मुझसे,
दस मिनट पैर दबवाओगी।
पैर दबा वापस आकर,
मैं वहीं लुढ़क सो जाऊँगा।
फिर पुनः सुबह की सेवा को,
यूँ अपनी थकन मिटाऊँगा।
सोचो इतनी सेवा करके,
फल मीठा नही मिलेगा क्या?
इस एकनिष्ठ सेवा के प्रति,
मुझको बैकुण्ठ मिलेगा क्या?
5 comments:
priya bloggers.
main aapki tippaniyon ka swagat karoonga.
kripaya mere blog par aakar mera utsahvardhan karen.
राज जी!
आप लोगों की परवाह मत करो।
नियम से लिखते रहो।
रचना बहुत बढ़िया है।
bahut hi sundar bhav badhai!!
बहुत सुन्दर रचना,
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