Sunday, August 9, 2009

अच्छा नहीं होता (डॉ.राजकिशोर सक्सेना राज)



शराफ़त का सियासत में,

’दखल’ अच्छा नहीं होता।

कि गंगा में खिले जैसे,

’कमल’ अच्छा नहीं होता।

नकल से पास होते हैं,

अधिकतर आज के बच्चे,

कोई मेहनत करे फिर हो,

’सफल’ अच्छा नहीं होता।

लफंगा जब सड़क पर,

छेड़ता हो एक अबला को,

पलट लो उस जगह कोई,

’सबल’ अच्छा नहीं होता।

पुलिस पीटे शरीफों को,

ये कसरत रोज की उनकी,

पुलिस का यूँ बनाना क्या,

’मसल’ अच्छा नहीं होता।

जो मांगे घूस में बाबू,

तो उसका हाफ झट देदो,

कहो उससे कि हक ये है,

’डबल’ अच्छा नहीं होता।

बिना शादी कोई जोड़ा,

मिले कॉन्ट्रैक्ट पर रहता,

गलत क्या क्युँ करे शादी,

’अमल’ अच्छा नहीं होता।

मियाँ-बीबी जो पकड़े पार्क में,

अदना पुलिस वाला,

सही है पार्क में मैरिड,

’कपल’ अच्छा नहीं होता।

गरीबों को बनाया रोज,

शोषण के लिए रब ने,

कि शोषण पर करे कोई,

’टसल’ अच्छा नहीं होता।

पोएट्री हो चुकी बेतुक,

कहो तुम ’राज’ बेतुक ही,

लगाना तुक मिलाने में,

’अकल’ अच्छा नहीं होता।


1 comment:

राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ ) said...

बात तो सच खूब कहते आप ओ साब जी ....!!